हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व है और होना चाहिए, लेकिन अंग्रेज़ी सीखना भी आज की ज़रूरत है।
2002 में जब मैंने इंग्लिश बोलना सीखने का प्रयास शुरू किया तो मुझे बहुत दिक्कत आई क्योंकि मैंने भी अपनी पढ़ाई हिन्दी मीडियम स्कूल से की थी। जब मैं किसी से इंग्लिश में कुछ बोलने की कोशिश करता था, तो कुछ लोग टोक देते थे और हँसने लगते थे। पर मैंने ये देख लिया था कि जिनको इंग्लिश आती थी, उनको प्राइवेट सैक्टर में अच्छी सैलेरी मिल जाती थी, लेकिन मेरे जैसे बहुत से विद्यार्थी, जिनके लिए इंग्लिश बोलना किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं था, वो पीछे ही रह जाते थे।
हिन्दी मीडियम स्कूल के हर बच्चे के लिए अंग्रेज़ी एक ब्रहमास्त्र की तरह है, जो उसके जीवन में एक शानदार परिवर्तन ला सकता है। शुरूआत में दिक्कत आयेगी, लेकिन हिम्मत नहीं हारनी है। अपना 100% दो। कभी भी हिचकिचाओ मत क्योंकि कोई आपको माहौल बना के नहीं देगा, खुद ही बनाना होगा। अंग्रेज़ी में सक्षम बनो, और अपनी ज़िदगी बदलो। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं। - आदित्य सर
5 October 2014