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मत पूछ मेरे सब्र की इन्तहां कहाँ तक हैं
तू सितम करले तेरी ताक़त जहाँ तक हैं,
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होंगी उन्हें होंगी
हमें देखना हैं कि तू ज़ालिम कहाँ तक हैं..
𝐼 𝐻𝑜𝑝𝑒 𝑌𝑜𝑢 𝐿𝑖𝑘𝑒 𝑀𝑦 𝑊𝑜𝑟𝑘. 𝑊𝑎𝑡𝑐ℎ 𝐻𝑒𝑎𝑟𝑡𝑡𝑜𝑢𝑐ℎ𝑖𝑛𝑔 𝑃𝑜𝑒𝑡𝑟𝑦 𝑖𝑛 𝐻𝑖𝑛𝑑𝑖 𝑃𝑙𝑒𝑎𝑠𝑒 𝑆𝑢𝑏𝑠𝑐𝑟𝑖𝑏𝑒 𝑀𝑦 𝐶ℎ𝑎𝑛𝑛𝑒𝑙...
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@emotion.shayari.1