"सबै अंग गुणहीन हूँ, ताको जतन न कोई,
एक किशोरी कृपा तैं, जो कुछ होइ सो होइ।"
मोहि किन दैव कियो ब्रजवासी । ❤️🙇🏻♀️
परसति युगललाल पद-रेणू, याचत सुर-सिद्ध-मुनि-कमला सी ॥ [1]
पावति प्रेम-प्रसाद निरन्तर, निरखति पिया-प्रीतम छबिरासी ।
मिलि रसिकन नित हरि गुण गावति, तृणसम तोड़ति भव-भयफांसी ॥ [2]
वृन्दावन सुख श्रीवृन्दावन, तरसत, शिव-हरि-ब्रह्मपुरवासी ।
‘ललितविहारिणि’ गनि पद-दासी, वेगहि कीजै महल-खवासी ॥ [3]
- श्री ललित विहारिणी जी
13 September 2024