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@TheOmniscientGuru-Bhaarat369
1 year ago
॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः॥
॥ अथ श्रीमद्भगवद्गीतामाहात्म्यम् ॥
गीताशास्त्रमिदं पुण्यं यः पठेत्प्रयतः पुमान्।
विष्णोः पदमवाप्नोति भयशोकादिवर्जितः॥१॥
जो मनुष्य शुद्धचित्त होकर प्रेमपूर्वक इस पवित्र गीताशास्त्र का पाठ करता है, वह भय और शोकआदि से रहित होकर विष्णुधाम को प्राप्त हो जाता है।
गीताध्ययनशीलस्य प्राणायामपरस्य च।
नैव सन्ति हि पापानि पूर्वजन्मकृतानि च॥२॥
जो सदा गीताका पाठ करनेवाला तथा प्राणायाम में तत्पर मनुष्य है, उसके इस जन्म और पूर्वजन्म में किये हुए समस्त पाप निःसन्देह नष्ट हो जाते हैं।
मलनिर्मोचनं पुंसां जलस्नानं दिने दिने।
सुकृद्गीताम्भसि स्नानं संसारमलनाशनम्॥३॥
जल में प्रतिदिन किया हुआ स्नान मनुष्यों के केवल शारीरिक मल का नाश करता है, परन्तु गीताज्ञानरूपी जल में एक बार भी किया हुआ स्नान संसार के समस्त मल को नष्ट करनेवाला है।
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः।
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिःसृता॥४॥
जो साक्षात् कमलनाभ भगवान् विष्णु के कमलमुख से प्रकट हुई है, उस गीता का ही भलीभाँति गान (अर्थसहित) करना चाहिये, इसके बाद अन्य शास्त्रों के विस्तार अर्थात् अन्य धर्म-साहित्यों को पढ़ने का कोई विशेष प्रयोजन नहीं रह जाता।
भारतामृतसर्वस्वं विष्णोर्वक्त्राद्विनिःसृतम्।
गीतागङ्गोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते॥५॥
जो महाभारत का अमृतोपम सार है तथा जो स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख से प्रकट हुआ है, उस गीतारूपी गंगाजल को पी लेने के पश्चात् पुन: इस संसार में जन्म नहीं लेना पड़ता।
सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनन्दनः।
पार्थो वत्सः सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत्॥६॥
सम्पूर्ण उपनिषदें गइयों (गौ) के समान हैं, गोपालनन्दन श्रीकृष्ण दुहने वाले हैं, अर्जुन बछड़ा है तथा महान् गीतामृत ही उस गौ का दुग्ध है और शुद्ध बुद्धि वाला श्रेष्ठ मनुष्य ही उसका भोक्ता अर्थात् पान करने वाला है।
एकं शास्त्रं देवकीपुत्रगीतमेको देवो देवकीपुत्र एव।
एको मन्त्रस्तस्य नामानि यानि कर्माप्येकं तस्य देवस्य सेवा॥
देवकीनन्दन भगवान् श्रीकृष्ण का कहा हुआ गीताशास्त्र ही एकमात्र उत्तम शास्त्र है, भगवान् देवकीनन्दन ही एकमात्र परमात्मा हैं, उनका नाम ही एकमात्र मंत्र हैं और उन भगवान् की सेवा ही एकमात्र कर्तव्य कर्म है।
राधेकृष्ण 🍁🌱
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