माँ की बातें | Maa Ki Baatein

183 videos • 6,463 views • by Shalaka Kashikar माँ की बातें (भगवान श्रीरामकृष्णदेव की लीला-सहधर्मिणी श्री माँ सारदादेवी से वार्तालाप) देवी-माहात्म्य में जगदम्बा कहती हैं - इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति। तदा तदाऽवतीर्याहं करिष्यामरिक्षयम्।। (११/५४-५५) - "जब जब इस प्रकार दानवों के प्रादुर्भाव से बाधाएँ उत्पन्न होंगी, तब तब मैं अवतीर्ण होकर शत्रुओं का विनाश करूँगी।" गीता में 'कामना' को ही मानव का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है। पिछली शताब्दी में पाश्चात्य सभ्यता के साथ संयोग होने से भारतवर्ष में 'काम' तथा 'लोभ' रूपी दैत्यों का प्राबल्य हो गया और इसके फलस्वरूप सनातन धार्मिक मूल्यों के अस्तित्व को ही संकट उत्पन्न हो गया था। ऐसा प्रतीत होने लगा था कि भारत से भारतीयता का लोप हो जायगा और यहाँ भी 'काम' तथा 'कांचन'रूपी शुम्भसे निशुम्भ गणों के साथ 'जड़वाद'रूपी महिषासुर का साम्राज्य स्थापित हो जायगा। असंख्य साधु-सज्जनों की कातर प्रार्थना के उत्तर में २२ दिसम्बर १८५३ ई. के दिन माँ ने बंगाल के एक छोटे से गाँव जयरामवाटी में अवतरण किया। परवर्ती काल में भगवान श्रीरामकृष्ण की सहधर्मिणी माँ श्रीसारदादेवी के रूप में अपने सहज जीवन, निश्चल स्नेह तथा आध्यात्मिक शक्तियों के माध्यम से उन्होंने युगधर्मसंस्थापन का कार्य सम्पन्न किया। वैसे तो उनका 'जीवन' ही उनके उपदेश हैं। तथापि अपने दैनंदिन जीवन में आध्यात्मिक शान्ति के लिए आनेवाले असंख्य पिपासुओं के साथ वे जो वार्तालाप करती थीं, उनमें अनेक अमूल्य तत्त्व निहित रहते थे। कुछ कुछ शिष्यों तथा भक्तों ने स्मरण रखने के लिये उन्हें अपनी दैनंदिनी में भी लिपिबद्ध कर लिए थे। 'माँ' की उन्हीं बातों को संकलित करके 'मायेर-कथा' नाम से बँगला में उन्हें प्रकाशित किया गया था जिसका हिंदी अनुवाद 'माँ की बातें' नामक ग्रंथ के रूप में स्वामी निखिलात्मानन्दजी महाराज द्वारा किया गया। माँ की कृपा सब पर वर्षित हो!