DURGA SAPTSHATI DHYANAM ALL CHAPTERS दुर्गा सप्तशती सभी अध्या के ध्यान
14 videos • 2,519 views • by Rajendra Kumar Vyas Palji ॥ श्री दुर्गायै नम:॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती ॥ प्रथमोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॐ खड्गं चक्रगदेषुचापपरिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः शङ्खं सन्दधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम्। नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कौटभम् ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ द्वितीयोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॐ अक्षस्रक्परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनुः कुण्डिकां दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम् । शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तैः प्रवालप्रभां सेवे सैरिभमर्दिनीमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम् ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ तृतीयोऽध्याय: - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॐ उद्यद्भानुसहस्रकांतिमरुणाक्षौमां शिरोमालिकां रक्तालिप्त पयोधरां जपपटीं विद्यामभीतिं वरम्। हस्ताब्जैर्दधतीं त्रिनेत्र विलसद्वक्त्रार विन्दश्रियं देवीं बद्धहिमांशुरत्नमुकुटां वन्देऽरविन्दस्थिताम् ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ चतुर्थोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ कालाभ्राभ्रां कटाक्षैररिकुलभयदां मौलिबद्धेन्दुरेखां, शङ्खं चक्रं कृपाणं त्रिशिखमपि करैरुद्वहन्तीं त्रिनेत्राम्। सिंहस्कंधाधिरुढ़ां त्रिभुवनमखिलं तेजसा पूरयन्तीं, ध्यायेद् दुर्गां जयाख्यां त्रिदशपरिवृतां सेवितां सिद्धिकामैः॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ पञ्चमोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ घण्टाशूल हलानि शङ्ख मसले चक्रं धनुः सायकभ्, हस्ताब्जैर्दधतीं धनान्तविलच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्। गौरिदेह समुद्भवां त्रिनयनामाधारभूतां महा - पूर्वामत्र सरस्वतीमनु भजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ षष्ठोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ नागाधीश्वर विष्टरां फणिफणोत्तंसोरु रत्नावलीं, भास्वद्देहलतां दिवाकरनिभां नेत्रत्रयोद्भासिताम् । मालाकुम्भकपाल निराजकरां चन्द्रार्धचूडां परां, सर्वज्ञेश्वर भैरवाङ्क निलयां पद्मावतीं चिन्तये ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ सप्तमोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ध्यायेयं रत्नपीठे शुककल पठितं शृण्वतीं श्यामलाङ्गीं, न्यस्तैकाङ्िघ्रं सरोजे शशिशकलधरां वल्लकीं वादयन्तीम्। कह्लाराबद्धभालां नियमित विलस- च्चोलिकां रक्तवस्त्रां, मातङ्गी शङ्खं पात्रां मधुरमधुरमदां चित्रकोद्भासि भालाम्॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ अष्टमोऽध्याय - ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ अरुणां करुणां तरंगिताक्षीं धृतपाशांकुशबाणचापहस्ताम्। अणिमादिभिरावृतां मयूखै- रहमित्येव विभावये भवानीम्॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ नवमोऽध्याय – ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ बन्धूक काञ्चननिभं रुचिराक्षमालां पाशांकुशौ च वरदां निजबाहुदण्डैंः । बिभ्राणमिन्दु शकलाभरणं त्रिनेत्र- मर्धाम्बिकेशमनिशं वपुराश्रयामि ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ दशमोऽध्याय – ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ उत्तत्पहेमरुचिरां रविचन्द्रवह्रि नेत्रां धनुश्शरयुतांकुश पाशशूलम् । रम्यैर्भुजैश्च दधतीं शिवशक्तिरुपां कामेश्वरीं हृदि भजामि धृतेन्दु लेखाम् ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ एकादशोऽध्याय – ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ बलरविद्युतिमिन्दुकिरीटां तुङ्गकुचां नयनत्रययुक्त्ताम्। स्मेरमुखीं वरदांकुशपाशा भीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम्॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ द्वादशोऽध्याय – ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कन्धस्थितां भीषणां, कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम्। हस्तैश्चक्रगदासि खेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीम्, विभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गा त्रिनेत्रां भजे॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ श्री दुर्गा सप्तशती॥ त्रयोदशोऽध्याय – ध्यानम् ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ ॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ बालार्क मंडलाभासां चतुर्बाहुं त्रिलोचनाम् । पाशांकुशवराभीतीर्धारयन्तीं शिवां भजे॥ ॥ इति श्रीदुर्गा सप्तशती ध्यानम्॥