आज जिन दिनों को कोस रहे हो
कल उन दिनों की चाहत होगी तुम्हे
आज जिन लोगों से पीछा छुड़ा रहे हो
कल उन लोगों की याद सतायेगी
आज जिस वक़्त से इतनी शिकायतें हैं
कल उसी के ठहर जाने की दुआ करोगे
तुम अपने आज को नहीं अपना सकते
अपने कल को क्या अपना कहोगे
जिंदगी तुम्हारी जिम्मेदारी है खुद की
कोई सरकारी कंप्लेन बॉक्स नहीं है
इसलिए ना बीते कल की खुशी ,
ना आने वाले कल का गम
ज़िंदगी बस *आज* में जियेंगे हम।